

आप ऑर्गेनिक फूड के बारे में पहले ही बहुत कुछ सुने होंगे, है ना? आजकल लोग इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में खूब चर्चा करते हैं, पर क्या यही एक कारण है जिसकी वजह से आपको इन्हें खाना चाहिए।?
इसमें कोई शक नहीं है कि ऑर्गेनिक खानों में विविध प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। कुछ अध्ययन में पाया गया है कि ऑर्गेनिक फूड उत्पाद पौष्टिक तत्वों की ख़ान है। ऑर्गेनिक फूड में अन्य प्रकार के पारम्परिक फूड्स की तुलना में पौष्टिक तत्व जैसे- एंटीऑग्जिडेंट की मात्रा अधिक होती है। और हाँ अगर आपको कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है तो ऐसी स्थिति में ऑर्गेनिक फूड आपके लिए लाभदायक है। चलिए हम आपको ऑर्गेनिक फूड के कुछ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताते हैं:
ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों में कीटनाशक कम होते हैं-
हम सब को पता है, कि फलों और सब्ज़ियों में हम तक पहुंचते-पहुंचते कितना सारा कीटनाशक भर जाता है। जो लोग नहीं जानते हैं कि कीटनाशक क्या होता है उन लोगों को बता दें कि कीटनाशक रसायन पदार्थ होते हैं जैसे- फंगिसाइड, हर्बिसाइड और इनसेक्टिसाइड जिनका इस्तेमाल ज्यादा खेती के लिए होता है। इन रसायनों का प्रयोग परंपरागत खेती में होता है, सबसे बड़ी बात यह है कि यह रसायन अंशतः खाद्य पदार्थों में रह जाते हैं जिनका हम सेवन करते है। जबकि दूसरी ओर ऑर्गेनिक खाद्य में कीटनाशकों की मात्रा नगन्य होती है, इसप्रकार इसका सेवन करना सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है।

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ऑर्गेनिक फूड ताजा होते हैं-
ऑर्गेनिक फूड आपके रोजाना खाद्य पदार्थों से ताजा होते है, जिसकी वजह से इसका स्वाद भी कायम रहता है। ऑर्गेनिक खाना इसलिए भी ताजा होता है क्योंकि इसे संरक्षित करने की जरूरत नहीं होती जिसकी वजह से इसकी सेल्फ लाइफ लंबी होती है।
ऑर्गेनिक खेती पर्यावरण के लिए भी अच्छी होती है।
ऑर्गेनिक फूड केवल स्वास्थ्य के लिए ही लाभप्रद नहीं है बल्कि ऑर्गेनिक खेती पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इसकी प्रेकटिस से वायु, पानी और जमीन का प्रदूषण कम होता है। साथ ही इसकी खेती से पानी संरक्षित होता है, मिटी का कटाव कम होता है, जमीन उपजाऊ बनती है और ऊर्जा की खपत कम होती है। इतना ही नहीं, क्योंकि इसकी खेती में कीटनाशकों का उपयोग कम होता है, इसलिए आस-पास के पशु-पक्षी, लोगों को फायदा होता है।

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ऑर्गेनिक की साहयता से पलनेवाले पशु ज्यादा सुरक्षित होते हैं।
ऑर्गेनिक की साहयता से पलनेवाले पशुओं को किसी प्रकार का एंटिबायोटिक्स या ग्रोथ हार्मोन्स देने की जरूरत नहीं होती है और ना ही इन्हें पशु-उत्पादित पदार्थ खिलाने की जरूरत पड़ती है। एंटिबायोटिक्स का प्रयोग परंपरागत मांस उत्पादन के लिए किया जाता है, जिससे विषाणु एंटिबायोटिक्स का प्रतिरोध करते हैं, इसका मतलब यह है कि जब व्यक्ति एंटिबायोटिक-फेड मांस खाता है तो वह विषाणु प्रतिरोध की वजह से बीमार हो जाता है और निष्क्रियता बढ़ जाती है। और हां पशुओं को पशु-उत्पाद नहीं खिलाने से मैड-काऊ बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। ऑर्गेनिक पशुपालन में पशुओं को अधिक जगह दी जाती है, जिसकी वजह से वे खुले में घूम पाते हैं परिणामस्वरूप वे ज्यादा स्वस्थ्य रहते है।
ऑर्गेनिक दूध और मांस अधिक पौष्टिक होते हैं
पंरपरागत उत्पादकों की तुलना में ऑर्गेनिक दूध और मांस में पौष्टिक तत्वों की मात्रा अत्यधिक होती है। 2016 में यूरोप में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि ऑर्गेनिक फूड में दूसरे फूड की तुलना में कुछ पौष्टिक तत्व जैसे- ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्तर 50 प्रतिशत अधिक ऊंचा था। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि क्योंकि ऑर्गेनिक पशु-पालन में पशु प्राकृतिक घास खाते हैं, जबकि परंपरागत पालन में पशुओं को अनाज और अन्य चीजें खिलायी जाती है|

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ऑर्गेनिक फूड में जीएमओ नहीं होते है-
जेनिटिकली मोडिफाइड ऑर्गेनिज्म (जीएमओ) या जेनिटिकली इंजीनियर्ड फूड, प्लैट्स और यहां तक की पशु जिनके डीएनए के साथ बहुत तरीके से छेड़-छाड़ किया जाता है, उनका उत्पादन या पालन प्राकृतिक तरीके से नहीं हो सकता और ना ही परंपरागत क्रॉसब्रीडिंग से। यह तरीका उत्पाद को पेस्टिसाइड्स और इनसेक्टिसाइड्स बनाने के लिए अपनाया जाता है। ज्यादा तर देशों में सभी प्रकार के ऑर्गेनिक पशुपालन में जीएमओ नहीं अपनाया जाता है जिससे उत्पादित मांस जीएमओ-फ्री होता है।
ऑर्गेनिक फूड में इतने सारे स्वास्थ्यकर तत्व होने की वजह से अब आप इस फूड को अपने नित्य भोजन में जोड़ सकते हैं क्योंकि अच्छे स्वास्थ से कीमती कुछ नहीं।