

डायबिटीज अथवा शुगर जिसे हिंदी भाषा में मधुमय भी कहा जाता है। डायबिटीज के पेशेंट आज के समय में बहुत ज़्यदा होते जा रहे है। दिएब्टेस की बीमारी के कारण काफी हो सकते है जिनमे से एक कारण है जीवन शैली में बदलाव। डायबिटीज के लिए लोगों को अपने रोज़ाना के रूटीन और खाने का ध्यान रखना चाइये। डायबिटीज के रोग में शुगर लेवल को जांचना बेहद ही ज़रूरी है। डायबिटिक मरीज़ का शुगर लेवल न ज़्यादा नीचे न ही ज़रूरत से ज़्यादा होना चाहिए।
जब हमारे शरीर में अग्न्याशय (पैंक्रियास) में इन्सुलिन की कमी हो जाती है तो खून में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है जिस वजह से ब्लड शुगर लेवल भी काफी बाढ़ जाता है। इन्सुलिन एक प्रकार का हॉर्मोन ही होता जिसकी कमी से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इन्सुलिन की मदद से जो हम भोजन खाते है उसे हमारा शरीर ऊर्जा में बदलता है। इसी वजह से डायबिटीज के मरीज़ों को खाने में काफी परहेज़ करने पड़ते है। डॉक्टर्स भी दिएबेटिक मरीज़ों को इन्सुलिन या दवाइयां देते है।
डायबिटीज/ शुगर के लक्षण क्या होते है?
डायबिटीज के लक्षण पता चलना बहुत ज़रूरी होता है। यदि मरीज़ को या डॉक्टर को यह लक्षण शुरुवात में ही दिख जाये तो डायबिटीज पर नियंत्रण भी पाया जा सकता है।
- जब आपको ज़्यादा प्यास लगे
- जब आपको बहुत ज़्यादा पेशाब आये
- हद से ज़्यदा ज़्यादा लगना
- वज़न का घट जाना
यह कुछ सामने से लक्षण हो सकते है और इनके बारे में पता लगते ही अपने डॉक्टर को दिखाए। लेकिन इनके अलावा और भी ज़्यदा गंभीर लक्षण हो सकते है जैसे की- बेहोश हो जाना, दौरे पड़ना या फिर व्यवहार में बदलाव आना। डायबिटीज-1 या डायबिटीज-2 के मरीज़ों का शुगर लेवल बहुत ही ज़्यादा कम हो जाता है जिस वजह से उनकी परेशानियां बढ़ जाती है।
डायबिटीज का विभिन्न अंगो पर असर
इन अंगों पे पड़ता है डायबिटीज का असर –
- त्वचा – डायबिटीज की वजह से त्वचा में काफी तरीके की बीमारियां आजाती है।
- आँखें – बलिन्डलिनेस्स या अंधापन की संभावना बढ़ जाती है डायबिटीज वाले मरीज़ों को। आँखों में रौशनी कम हो जाना या धुंधला दिखना भी कुछ लक्षण होते है।
- दिमाग – डायबिटिक मरीज़ के दिमांग में तनाव या स्ट्रेस बढ़ जाता है। वह निराशा की ओर चल पड़ता है।
डायबिटीज के कारण
डायबिटीज एक बहुत ही दुखदायक रोग बन सकता है यदि उसका समय रहते उपाय न किया जाये।
डायबिटीज का सर्व प्रथम कारण है इन्सुलिन की शरीर में कमी होना। जब प्रतीक्षा प्रणाली इन्सुलिन का उत्त्पाद ख़तम करदेती है तोह डायबिटीज-1 की दिक्कत हो जाती है। कुछ व्यक्तियों में उनके जीन्स यह काम करते है। वही टाइप-2 डायबिटीज में जीवन की रोज़मर्रा की आदतों से फरक पड़ता है जैसे की मोटापा या व्यायाम न करना।
शुगर या डायबिटीज के लिए इलाज
डायबिटीज को जड़ से ख़तम करने के लिए इलाज उपलब्ध नहीं है परन्तु उसे नियंत्रण पाने के लिए आप आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या एलोपैथिक इलाज करवा सकते है।
आयुर्वेदिक– आयुर्वेदा में मधुमेय या डायबिटीज के काफी इलाज हैं। आप अपने नज़दीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक को जा के दिखा सकते है। आयुर्वेदा में जड़ीबूटियों के सेवन से इलाज किया जा सकता है।
होम्योपैथिक – होम्योपैथिक में इलाज की अवधी लम्बी चलती है और ये आपको स्वस्थ बनाने में कर सकता है। काफी डायबिटिक मरीज़ों को होमियोपैथी से बढ़िए रिजल्ट्स मिले है।
अलोएपथिक इलाज – अलोएपथिक में इन्सुलिन और दवाइओं की मदद से डायबिटीज को नियंत्रण में रखा जाता है। यह इलाज़ निश्चय ही आपके डायबिटीज की बीमारियों को एक हद्द तक ठीक कर सकता है। इन्सुलिन के इंजेक्शन लगा कर शरीर के इन्सुलिन लेवल को बढ़ाया जाता है। पैंक्रियास में इन्सुलिन बढ़ जाता है जिससे डायबिटीज लेवल मेन्टेन रहता है।
कन्क्लूज़न
अगर आप डायबिटीज के शिकार हैं या फिर आपके किसी जानकार को अगर यह बीमारी है तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस लेख में दी गयी एक एक चीज़ का आप पालन करें। ऐसा इसलिए है क्यूंकि यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है अगर आप इसका ढंग से इलाज ना करवाएं तो।