

सोरायसिस को अपरस भी कहते हैं। यह त्वचा से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें त्वचा पर एक मोटी परत बनने लग जाती है। यह त्वचा से जुड़ी ऑटोइम्यून बीमारी है। सोरायसिस में त्वचा पर कोशिका (सेल) तेजी से जमा होने लगती है। इस बीमारी में व्हाइट ब्लड सेल की अत्याधिक क्रियाशीलता की वजह से त्वचा पर परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगता है उसमें घाव बनने की संभावना रहती है। इसमें मोटे और लाल रंग के धब्बे देखने को मिलते हैं। आज की इस लेख में हम सोरायसिस क्या है इसके बारे में विस्तार से जानेंगे ।
सोरायसिस शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। बीमारी के बढ़ जाने पर लाल चकत्ते से खून निकलना भी आम हो सकता है। इस बीमारी में चक्कतों में कभी-कभी सूजन भी देखने को मिलता है। यदि आप अपने भोजन में पौष्टिक आहार शामिल नहीं करते हैं, तब भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।
सोरायसिस के लक्षण
सोरायसिस के लक्षण की बात करें तो, अलग-अलग व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग देखने को मिलते हैं। आमतौर पर यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 50 से 59 वर्ष के बीच के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है।
सोरायसिस के लक्षण कई व्यक्ति में सामान्य होते हैं जिसमें चांदी जैसे सफेद पपड़ी बनना, त्वचा पर लाल धब्बे, खुजली से जलन पैदा होना, कोहनी, घुटने, हथेलियां, खोपड़ी और पैर के तलवों पर जलन, सूखी फटी त्वचा में खुजली या खून निकलना, गद्देदार मोटे उभरे हुए नाखून होना, अच्छी नींद का ना आना भी शामिल है। यदि आपको सोरायसिस के शुरुआती लक्षण देखने को मिले तो उस स्थिति में आप चिकित्सकीय परामर्श जरूर लें।
सोरायसिस के कारण
शोधकर्ताओं को सोरायसिस के कारण की सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन इम्यून सिस्टम और हेरेडिटी को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। आमतौर पर इम्यून सिस्टम किसी भी रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं पर हमला करता है, लेकिन सोरायसिस में अन्य ऑटोइम्यून डिजीज की तरह यह स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देता है, जिससे ये कोशिकाएं 30 दिन में पूरी तरह विकसित होने के साथ नष्ट हो जाती हैं। हेरेडिटी से जुड़े कारण भी सोरायसिस के प्रकार और इसके उपचार को प्रभावित करते हैं
सोरायसिस होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। जिसमें त्वचा पर चोट लगना, खरोच, टीकाकरण, सनबर्न, ठंडा मौसम और शुष्क स्थिति, बहुत अधिक शराब का सेवन, हाई बीपी की दवा, एंटी मलेरिया दवा, धूम्रपान और तनाव भी हो सकता है। सोरायसिस से हमारे शरीर की हथेलियां, पांव के तलवे, घुटने, कोहनी, पीठ आदि प्रभावित होते हैं।
सोरायसिस के प्रकार
सोरायसिस के कई प्रकार है, जिसमें प्लाक सोरायसिस, गुट्टेट सोरायसिस, उल्टा (इन्वर्स) सोरायसिस, पुष्ठीय सोरायसिस, एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस, नाखून सोरायसिस, सोरियाटिक गठिया आदि सामान्य प्रकार है।
प्लाक सोरायसिस में शरीर के त्वचा पर उभरे हुए और मोटे चकत्ते, बदरंग धब्बे, प्लाक के साथ पपड़ीदार जमाव होती है। इनमें कभी कभी खुजली और दर्द भी हो सकता है।
सोरायसिस के घरेलू उपचार
सोरायसिस का आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों ही पद्धति से इलाज किया जाता है। सोरायसिस के हल्के या मध्यम लक्षणों में क्रीम अथवा मलहम का उपयोग कर आप इससे राहत पा सकते हैं। इसके साथ ही इंजेक्शन वाली दवाओं और फोटो थेरेपी के साथ ही आप इस बीमारी का इलाज करवा सकते हैं। ऐसे में हम घरेलू इलाज आपको बताने जा रहे हैं, जिससे आप सोरायसिस का बेहतर इलाज कर सकते हैं।
गुलाब जल और हल्दी
सोरायसिस के उपचार में हल्दी और गुलाब जल के लेप का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक फायदेमंद नुस्खा साबित हो सकता है। प्रभावित हिस्से में इस लेप को लगाने से आपको जलन व खुजली से राहत मिल सकती है।
एलोवेरा का इस्तेमाल
सोरायसिस के उपचार के लिए एलोवेरा के ताजा गुदा को निकाल कर प्रभावित स्थान पर लगाने से आपको फायदा होगा। हल्के हाथों से प्रभावित जगह पर मालिश भी करनी चाहिए। रोजाना ऐसा करने से आपको खुजली से राहत मिलेगी। एलोवेरा का इस्तेमाल कई बीमारी में इलाज के लिए किया जाता है।
फिटकरी का इस्तेमाल
फिटकरी के पानी का भी सोरायसिस के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फिटकरी के पानी से नहाने पर रूखापन और खुजली दूर होगी। नहाने के पानी में दो कप फिटकरी डालें और 15 मिनट तक अपने प्रभावित हिस्से को इसमें डूबा कर रखें।
निष्कर्ष
सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसे आप अपने लाइफस्टाइल को बदलकर जल्द से जल्द लक्षणों को ठीक कर सकते हैं। इस बीमारी में आपको टेंशन फ्री लाइफस्टाइल अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। वहीं प्रभावित जगह को हमेशा सूखा रखने की कोशिश करें। सूर्य की तेज रोशनी में बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है। इस लेख में हमने सोरायसिस क्या है, सोरायसिस के लक्षण, सोरायसिस के कारण और सोरायसिस के उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा की है। अब, यह आपके हाथों में है कि आप इन जानकारियों का उपयोग कैसे करते हैं और खुद को और दूसरों को कैसे जागरूक करते हैं।