

ऐसी औरतें जो गर्भ धारण नहीं करना चाहती हैं या बच्चों के जन्म के बीच में अंतर रखना चाहती हैं उनके लिए गर्भनिरोधक दवाएं बहुत उपयोगी और लाभदायक हैं। सच तो ये है कि गर्भनिरोधक गोलियां अनचाहे गर्भ से बचने का एक सुरक्षित तरीका है। गर्भधारण को रोकने के अतिरिक्त भी इन गर्भनिरोधक दवाओं के कुछ फायदे हैं जिसपर आगे चर्चा करेंगे। लेकिन हाँ गर्भनिरोधक पिल्स को लेकर महिलाएँ बिना किसी फ़िक्र के सेक्सुअल रिलेशन्स बना सकती हैं। इसमें वो ज़्यादा आनंद का अनुभव करती हैं। हालाँकि आनंद के लिए अनचाही प्रेग्नेंसी तो ठीक है। लेकिन सिर्फ आनंद के लिए ऐसा बार बार करना ठीक नही होता। इसके अनेक दुष्परिणाम हैं जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायी होते हैं। गर्भनिरोधक गोलियों के ऊपर की गई एक रिसर्च से पता चला है कि लगातार इसको लेने से महिलाओं में मोटापे की शिकायतें बहुत आती हैं। लैबोरेट्रीज में बने एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन से तैयार गोलियों का ये सबसे बड़ा नकारात्मक पहलू है। वैसे दवा कंपनियाँ ये सारी बातें गर्भनिरोधक दवाओं के पैकेट के ऊपर भी लिख कर ही बाजार में उतारती हैं।
वैसे तो अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव्स का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा तरीका है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप गर्भनिरोधक गोली लेना भूल जाते हैं या सेक्स के दौरान ही कोई चूक हो जाती है। ऐसे में अनचाहे गर्भ के डर से घबराना नहीं चाहिए । आइये आज हम इसी विषय पर आपसे बात करते हैं और तफसील से सारी बातें बताते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियाँ
चलिए पहले महिलाओं के प्रेग्नेंट होने के प्रोसेस को समझते हैं। महिलाओं की ओवरी में से निकलने वाले एग्स पुरुषों के स्पेर्म्स के ज़रिये फर्टीलाइज़्ड होते हैं। उसके बाद यह फर्टीलाइज़्ड एग्स महिला के गर्भाशय में जाकर स्थापित हो जाते हैं और वहीं पर विकसित होना शुरू करते हैं। ओवरी से अंडे निकलने की इस प्रक्रिया को हम ओव्यूलेशन कहते हैं और यह पूरा प्रोसेस महिलाओं के शरीर में मौजूद हार्मोनस द्वारा नियंत्रित होता है। गर्भनिरोधक दवाओं में फीमेल हार्मोन (प्रोजेस्टिन एवं एस्ट्रोजन) होते हैं। ये हार्मोन शरीर के अंदर जाकर ओव्यूलेशन की नेचुरल प्रोसेस में अड़चन पहुंचाते हैं और अंडों को ओवरी से निकलने से रोकते हैं। इसके अलावा ये गर्भनिरोधक गोलियां सर्वाइकल म्यूकस के गाढ़ेपन को और बढ़ा देती हैं जिससे किसी स्पर्म का यूट्रस में जाना और अंडे तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस तरह यह मेडिसिनस प्रेगनेंसी होने से रोकती हैं।
1. कंट्रासेप्टिव पिल्स कैसे और कब खाएं
गर्भनिरोधक गोलियां कई तरह की होती हैं। कुछ में प्रोजेस्टिन और एस्ट्रोजन दोनों हार्मोन होते हैं उन्हें कॉम्बीनटोरिअल कंट्रासेप्टिव पिल्स कहते हैं। वहीं कुछ गोलियां ऐसी होती हैं जिनमें सिर्फ प्रोजेस्टिन ही होता है। हर महिला के लिए हर तरह की गोली ठीक नहीं होती है इसलिए बिना अपने डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट की सलाह लिए इन मेडिसिन का इस्तेमाल ना करें। इन गोलियों को खाने का तरीका बहुत आसान है। आप जिस ब्रांड की दवा खा रही हों सबसे पहले उस दवा की गाइडलाइन्स को समझ के पढ़ें और साथ ही साथ डॉक्टर की सलाह को भी पूरा महत्त्व दें । आमतौर पर कंट्रासेप्टिव पिल्स को प्रतिदिन एक निर्धारित समय पर ही खाना चाहिए। आप इसके लिए दिन में कोई भी एक समय निर्धारित कर सकती हैं। अगर ऐसा हो की आप किसी दिन ये गोली खाना भूल जाती हैं तो याद आते ही एक गोली खा लें और फिर अगले दिन निर्धारित समय पर ही अगली गोली खाएं। अगर किसी दिन आप गोली खाना भूल गयी हैं और दूसरे दिन दवा खाने का वक़्त हो गया है तो उस दिन आप एक साथ दो गोलियां भी खा सकती हैं और फिर आगे पहले ही की तरह हर रोज़ एक गोली खाना जारी रख सकती हैं।
2. गर्भनिरोधक गोलियों के फायदे
अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कंट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल करना सबसे असरदार समझा जाता है। आपकी जानकारी के लिए यहाँ हम ये भी बता दें कि गर्भनिरोधक दवाइयां ना सिर्फ प्रेग्नेंसी को रोकती हैं बल्कि यह महिलाओं में अक्सर होने वाले अनियमित मासिक चक्र को भी नियमित करती हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हार्मोन से जुड़ी अनियमितताएं पायी जाती हैं, यही वजह है कि पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं को डॉक्टर गर्भ निरोधक गोलियां खाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा जो महिलायें फिलहाल दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं या दोनों बच्चों के बीच अंतर रखना चाहती हैं वो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इन गोलियों का नियमित सेवन कर सकती हैं।
3. गर्भनिरोधक गोली के नुकसान
कुछ महिलाओं को इस दवा को लेना शुरू करने के बाद उल्टी की फीलिंग हो सकती है, चक्कर आ सकते हैं, सिर में दर्द हो सकता है, ब्रेस्ट्स में भारीपन हो सकता है या फिर उस महिला का वज़न बढ़ सकता है। इनमें से अधिकतर सिम्प्टम कुछ दिनों के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं। कई महिलायें गर्भनिरोधक गोली के साइड इफ़ेक्ट से डरकर ही इसे खाने से इंकार करती हैं। इस बारे में खुलकर अपने डॉक्टर से बात करना आवश्यक है।
4. कंट्रासेप्टिव पिल्स – ध्यान रखने वाली कुछ बातें
अगर आप दिल या लीवर ,अनकंट्रोल्ड हाई ब्लड प्रेशर जैसी अन्य किसी भी बीमारी से पीड़ित हैं तो आप इन गोलियों का सेवन ना करें या फिर अपनी गाइनी से संपर्क करें। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए। कंट्रासेप्टिव पिल्स किसी भी तरह से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ेज़ से बचाव नहीं करती है। इसलिए सुरक्षा के लिए सेक्स के दौरान एहतियात बरतें । मोटापे से पीड़ित महिलाओं में इन गर्भनिरोधक दवाइयों का असर कम होता है। अगर आप ज़्यादा मोटी हैं तो इन दवाओं को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
गर्भपात की गोली
अनचाहे गर्भ के बारे में पता चलते ही कोई भी महिला परेशान हो जाती है और उसके मन में कई प्रश्न आने लगते हैं। वह सोचती है कि क्या अब एबॉर्शन की दवा खाना चाहिए? क्या उसको मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (MTP) कराने की जरुरत है? गर्भपात की गोली के साइड इफ़ेक्ट क्या हैं? सच ये है कि अभी अपने देश की महिलाओं में गर्भपात के बारे में जानकारी और जागरूकता ना के बराबर है।
1. क्या है एमटीपी
एमटीपी एक ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल गर्भपात के लिए किया जाता है। मगर आप इसे बग़ैर डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के से नहीं खरीद सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा कानून बनाया गया है जिसे चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट ) कहा जाता है। इस कानून में यह बताया गया है कि भारतीय महिला किन किन परिस्थितियों में गर्भपात करवा सकती है।
एमटीपी भारत में महिलाओं के लिए प्रजनन से जुड़ा हेल्थ राइट है। कोई भी महिला इन इन हालात में एमटीपी करवा सकती है जैसे
1. अगर महिला की ज़िन्दगी खतरे में हो और इस प्रोसेस की मदद से उसकी जिंदगी बचाई जा सकती हो।
2. अगर उस प्रेग्नेंसी को जारी रखने से उसके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को कोई खतरा हो।
3. अगर उसके होने वाले बच्चे में किसी तरह के फिजिकल या मेन्टल असामान्यता का खतरा हो।
4. अगर वो रेप या सेक्सुअल हरस्मेंट की वजह से प्रेग्नेंट हुई हो।
5. अगर कंट्रासेप्शन के फेल हो जाने से वो प्रेग्नेंट हुई हो।
6. अगर एबॉर्शन में उस महिला की रज़ामंदी शामिल हो।
एबॉर्शन पिल्स हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए। आइये जानते हैं इस दवा के काम करने के तरीके क्या क्या हैं। ये प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को बनने से या उसके प्रोसीजर को रोकती है। मायोमेट्रियम को संकरा करती है और ट्रोफोब्लास्ट को बढ़ने से रोकती है।
2. गर्भपात की गोली का इस्तेमाल कैसे करें
एबॉर्शन के लिए महिलाओं को दो अलग अलग तरह की टेबलेट्स लेनी पड़ती हैं। पहली डॉक्टर की देखरेख में लेने के 36 से 48 घंटों के बाद दूसरी डोज़ के लिए एक बार फिर डॉक्टर के पास आना पड़ता है।
पहली गोली गर्भपात के लिए यूट्रस को तैयार करती है। ये सर्विक्स प्रेगनेंसी में पनप रहे भ्रूण को सहारा देती है और साथ ही यह दवा उस सर्विक्स को नरम करती है। इसके अलावा यह प्रोजेस्टेरोन को रोकती है और गर्भाशय की सतह को तोड़ देती है। इसी तरह दूसरी गोली यूट्रस को सिकुड़ने में मदद करती है जिससे भ्रूण के साथ ही यूटेराइन लाइनिंग भी बाहर निकल जाती है।
आमतौर पर गर्भपात की गोलियों को गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में ही लेने की सलाह दी जाती है। इसके बाद में फिर सर्जिकल अबॉर्शन को ही ठीक माना जाता है। हालांकि मेडिकल अबॉर्शन गर्भावस्था के 20 हफ़्तों तक वैद्य है लेकिन एमटीपी एक्ट के अनुसार 12 हफ़्तों के बाद आप कम से कम दो गायनकोलॉजिस्ट की सलाह के बाद ही इस तरह का कोई फैसला ले सकती हैं। कभी कभी गर्भपात की गोलियां बेहतर तरह से असर नहीं करती हैं जिस वजह से प्रेग्नेंसी बनी रहती है। हालांकि ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी जारी रखने पर पेट में पल रहे बच्चे के लिए भी बहुत खतरा रहता है। इसलिए ऐसे मामलों में महिला का सर्जिकल अबॉर्शन ही होना चाहिए। वहीँ कुछ महिलाओं को इन गोलियों में मौजूद कंपाउंड्स से एलर्जी भी हो सकती है। अगर इनके सेवन से आपको किसी तरह की एलर्जी या स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या होती है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अबॉर्शन पिल्स के इस्तेमाल से यूटेरस में इन्फेक्शन होने का खतरा कम मामलों में देखने को मिलता है। गर्भपात कराने के कुछ दिनों बाद डॉक्टर के पास ज़रूर जाएँ और जान लें कि एबॉर्शन पूरी तरह ठीक से हुआ है या नहीं।
3. गर्भपात की गोली के साइड इफेक्ट
देखा जाये तो गर्भपात की गोली के नुकसान भी कई सारे हैं और हर महिला को इसकी जानकारी भी होनी चाहिए। इसके कुछ नुकसान हैं
- उल्टी आना
- थकान होना
- डायरिया होना
- ठंड के साथ या बिना ठंड के साथ बुखार का होना
- पेल्विक हिस्से में तेज दर्द या क्रैम्प का होना
- चक्कर आना
उल्टी और डायरिया जैसे साइड इफेक्ट्स मेडिकल एबॉर्शन के कुछ दिन बाद ही अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर ये सिम्पटम्स जारी रहते हैं तो अपने डॉक्टर से फ़ौरन बताइये।
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली
अगर आप गर्भनिरोधक गोली लेना भूल गई हैं या सेक्स के दौरान कोई ग़लती हो गयी है तो ऐसे में अनचाही प्रेग्नेंसी के डर से घबराना नहीं चाहिए । ऐसे हालात में ही आपातकालीन गर्भनिरोधक जिन्हें इमरजेंसी कंट्रासेप्शन भी कहते हैं ,काम आते हैं। आपातकालीन गर्भनिरोधक दो तरीकों से इस्तेमाल किये जाते हैं। इंट्रायूटेरिन डिवाइस और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां। इन आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों को ‘मॉर्निंग आफ्टर पिल’ भी कहते हैं। आमतौर पर इन दवाइयों को असुरक्षित सेक्स के अगले 72 घंटों के अंदर लेना होता है, लेकिन जितनी जल्दी आप इन्हें लेंगी ये उतनी ही फायदा करेंगी। आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि प्रेग्नेंट होना या ना होना गोली लेने के समय पर ही निर्भर करता है।
1. आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल
ये दवा आपातकाल में इस्तेमाल करने के लिए बनाई गयी हैं यानी जब गलती से अनप्रोटेक्टेड सेक्स हो जाए तब आप इनकी मदद से प्रेग्नेंसी को रोक सकती हैं। हाँ एक बात का ध्यान रखें कि आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां प्रतिदिन उपयोग की जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियों से काफी अलग होती हैं। इनका प्रयोग ही तभी करना होता है जब आपने गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन ना किया हो। वहीं कुछ महिलाएं इन्हें गर्भपात की गोली समझने की गलती कर देती हैं। वास्तव में ये मेडिसिन एबॉर्शन नहीं करती हैं बल्कि सिर्फ प्रेग्नेंसी को रोकती हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार अगर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन सही समय पर किया जाए तो इनका सक्सेस रेट लगभग 99% होता है।
2. ये सावधानियां बरतें
1. अगर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली खाने के बाद अगले 3 से 4 हफ़्तों तक पीरियड नहीं आते हैं तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाएं।
2. अगर सेक्स किये हुए 72 घंटों से भी ज्यादा समय हो चुका है और आपने आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली अभी तक नहीं ली है तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा को खाएं।
3. इन गोलियों के सेवन के बाद उल्टी, मिचली, थकान या हल्के पेट दर्द जैसी प्रॉब्लम्स अक्सर होती हैं लेकिन अगर ये समस्याएं ज़्यादा हैं या रुक नहीं रही हैं तो फ़ौरन डॉक्टर से संपर्क करें।
3. ये ना करें
1. एक मंथली साइकिल में एक ही बार आपातकालीन गर्भनिरोधक का उपयोग करना चाहिए। ज्यादा गोलियों का सेवन आपके मासिक चक्र को खराब कर सकता है साथ ही गर्भाशय पर बुरा असर पड़ सकता है।
2. कई लोग इन दवाओं को अनसेफ सेक्स से बचने का आसान तरीक़ा समझते हैं जो कि गलत है। इन पिल्स को सिर्फ इमरजेंसी में ही लेना चाहिए।
3. अगर आप पहले से ही प्रेग्नेंट हैं और इमरजेंसी डेटेररेन्ट्स का इस्तेमाल एबॉर्शन के लिए करना चाहती हैं तो ये ग़लत होगा। ये गर्भपात की गोलियां नहीं है बल्कि ये सिर्फ प्रेग्नेंट होने से बचती हैं।
4. ये भी ग़लत है कि इन दवाओं के सेवन से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीसेस से बचाव होता है।
कभी भी जब आप अनसेफ सेक्स करें तो इन आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करें। इनको खाने के कुछ दिनों बाद आने वाले पीरियड में अगर आपको कोई दिक्कत हो तो फ़ौरन अपनी गाइनी से मिलिए और उससे सलाह लीजिये।
कन्क्लूजन
आज आपसे बर्थ कंट्रोल पिल्स और इमरजेंसी कंट्रासेप्शन के बारे काफी खुल कर बातें हुईं। भरोसा है कि जो हम कहना चाह रहे हैं वो सब आपको ज़रूर समझ में आया होगा। अगर फिर भी कहीं कुछ रह गया हो तो अपने डॉक्टर से भी आप इस विषय पर बात कर सकते हैं।
इस आर्टिकल का निचोड़ भी यही है कि कंट्रासेप्टिव पिल्स फायदेमंद भी हैं और कभी कभी नुकसानदायक भी। लेकिन अगर आप किसी डॉक्टर कि सलाह लेकर इनका सेवन करती हैं तो नुकसान की संभावना कम होती है। लेकिन किसी ना किसी तरह से ये बर्थ कंट्रोल पिल्स शरीर पर अपना कुछ असर छोड़ती ही हैं और वो असर फायेमंद तो बिलकुल भी नहीं हो सकता।