

जैतून के तेल का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना की स्वस्थ पकवानों का। जब भी महीने की राशन की लिस्ट तैयार की जाती है तो उसमें जैतून के तेल का नाम जरूर होता है, पर क्या हम स्वास्थ्य में लाभकारी जैतून तेल के बारे में सब कुछ जानते हैं?
जैतून संसार के सबसे पुराने खाने की समाग्रियों में से एक है। यह तेल सबसे प्रचीन होने के बावजूद अपने लाजवाब गुणों के चलते आज भी प्रचलन में है। लोग भले ही सदियों से इसे प्रयोग में ला रहे हैं, परंतु इसके कुछ गुणों से लोग अभी भी अनभिज्ञ हैं।
यह तेल केवल खाने को स्वादिष्ट ही नहीं बनाता, अपितु अपने औषधीय गुणों की वजह से हमें पौष्टिकता भी प्रदान करता है, जिसकी वजह से यह तेल एक बढ़िया विकल्प है। इस तेल में मोटापा (चर्बी ) कम करने वाला रसायन और एंटीऑक्सीडेंट (सांस से संबधित विकार में राहत पंहुचाने वाला तत्व) पाया जाता है, जिसकी मानव शरीर को प्रतिदिन आवश्यकता होती है।
आजकल जैतून के तेल का इस्तेमाल केवल पकवान के लिए ही नहीं, बल्कि कोस्मेटिक (सौंदर्य), औषधी, साबुन इत्यादि बनाने के लिए भी किया जाता है। वास्तव में मूल रूप से जैतून का तेल भूमध्य देशों से आया है।
इस तेल के फायदों पर बात करने से पहले हम जैतून के प्रकार जो बाजार में उपलब्ध है और उनमें क्या अंतर है पर चर्चा करते हैं।
एक्स्ट्रा वर्जीन ऑलिव ऑयल: यह तेल जैतून को पहली बार निचोड़ कर बनाया जाता है, जो कि सामान्यत: दूसरे जैतून के तेलों से अधिक हरा होता है। एक्सट्रा वर्जीन तेल में एसिडिटी स्तर बहुत कम होता है। इसके साथ ही यह ड्रेसिंग, डीप्स और आचार के लिए भी आदर्श माना जाता है।
वर्जीन ऑलिव ऑयल: यह तेल भी जैतून की पहली निचोड़ से बनाया जाता है। इसमें एसिडिटी की मात्रा एक्सट्रा वर्जीन से थोड़ी ज्यादा होती है। वर्जीन ऑलिव ऑयल का प्रयोग ड्रेसिंग और आचार के लिए किया जाता है, लेकिन एक्सट्रा वर्जीन के मुकाबले यह तेल थोड़ा कम उपयोगी है।
ऑलिव ऑयल: यह समान्यत: वर्जीन का मिश्रण होता है। इस तेल का इस्तेमाल करने से खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है। इसके साथ ही इस तेल से बना खाना, अन्य रीफाइंड तेलों से बने खानों से बेहतर होता है। संपूर्ण रूप से देखा जाए तो यह तेल खाना बनाने के लिए तो उपयुक्त है ही साथ ही इसका बर्निंग प्वाइंट अधिक भी होता है

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पॉमेस ऑलिव तेल: यह तेल जैतून के निचोड़ से बचे अवशेष से बनता है। जैतून अवशेषों को गर्म या लगभग जला कर इस तैल को तैयार किया जाता है। इस प्रकार के तेल को गर्म कर रीफाईन करने से इसका स्वाद थोड़ा फीका पड़ जाता है। इस तेल का इस्तेमाल भी फ्राई करने के लिए किया जाता है और इसका बर्निंग प्वाईंट अधिक होता है।
अर्ली हारवेस्ट ऑईल: जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि इस प्रकार के तेल को थोड़े कच्चे जैतून से बनाया जाता है। कच्चे जैतून से बना तेल थोड़ा कड़वा, चटपटा और अधिक हरा होता है। इस प्रकार का तेल छोटे-छोटे जैतून से बना होता है। इसमें तेल कि मात्रा कम होती है, जिसकी वजह से यह थोड़ा महंगा होता है।
लेट हारवेस्ट ऑलिव ऑइल: इस तेल को पूरे पके जैतून से बनाया जाता है। पके जैतून से बने होने की वजह से इसे बनाना असान है और इस तेल का स्वाद भी लाजवाब होता है।
कोल्ड प्रेस ऑलिव ऑइल: इस तेल का निर्माण बिना जैतून को गर्म किए किया जाता है, क्योंकि ज्यादातर जैतून के तेल का निर्माण गर्म करके किया जाता है। इसकी वजह से कई आवश्यक पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इस लिहाज से इस प्रकार के तेल सारे पौष्टिक तत्वों को अपने में समेटे रखते हैं

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जैतून के तेल की उपयोगिता
जैतून के तेल का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले वाले अच्छे प्रभाव पर काफी चर्चा होने के बावजूद ज्यादातर लोग आज भी इसके गुणों से अनभिज्ञ है। यहां हम जैतून तेल के गुणों को बता रहें है जिसे पढ़ कर आप इसका इस्तेमाल प्रतिदिन के पकवान में अवश्य करना चाहेंगे।
हृदय से संबधित विकारों के लिए रामबाण: जर्नल फर्माकोलोजिकल रिसर्च के एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग जैतून के तेल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें हृदय संबधित बीमारियां जैसे हाईपरटेंशन, ऱक्तचाप, हृदयघात और ब्लड कोलेट्रॉल लेवल कम होती है। अध्ययन में यह भी निष्कर्ष निकला कि जो लोग जैतून के तेल का ज्यादा इस्तेमाल करते है, उनमें अवसाद, रक्त कोशिका का पतला और कार्बोहाईड्रेट मेटाबोलिज्म कम होता है।
कंट्रोल कोलेस्ट्रोल: जैतून तेल में हानिकारक सैचुरेटेड और पॉलिसैचुरेटेड फैट की मात्रा कम होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रोल को नियत्रंण में रखना आसान हो जाता है। साथ ही जैतून के तेल में मोनोसैचुरेटेड फैट की मात्रा लगभग 70 से 80 प्रतिशत होती है, जो शरीर में अच्छा कोलेस्ट्रोल और एचडीएल बनाता है।
मानसिक अवसाद में लाभदायक: जैतून के तेल के लगातार इस्तेमाल से सेरोटोनियम लेवल बढ़ाता है, जो कि दिमाग में पाया जाने वाला रसायन है और अवसादरोधक के रूप में काम करता है। जैतून के तेल के इस्तेमाल से अवसाद होने की संभावना कम रहती है

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अलजेमर रोग से बचाव: एक अमेरिकन अध्यन (अमेरिका साईंस मैग्जीन) के अनुसार, जैतून तेल में ऑलियोकैंथल नामक तत्व पाए जाते हैं, जो अलजेमर नामक बीमारी से बचाता है। अमेरिकन कैमिकल सोसायटी ने अपने एक शोध में अध्ययन की पुष्टि की है। साथ ही उनका मानना है कि एक्सट्रा वर्जीन जैतून तेल से सीखने की शक्ति और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव: सऊदी अरब में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि जैतून के तेल में ऑल्युरोपीन नाम तत्व पाया जाता है, जो ब्रेस्ट कैंसर से बचाने में कारगर है। इसी प्रकार स्पेन के अस्पताल ने भी अपने ट्रायल में पाया कि जो महिलाएं जैतून के तेल का ज्यादा इस्तेमाल करती है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 62% कम होती है।
सौंदर्य उपयोगिता: जैतून के तेल में मौजूद विटामिन ई नाखूनों को ना सिर्फ खूबसूरत बनाता है, बल्कि इन्हें चमकीला भी बनाता है। उसी प्रकार विटामिन ई बालों का गिरना कम करता है। साथ ही जैतून में ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो एंटी-एजींग यानी हमेशा आपको जवान रखने का काम करता है। यह तत्व आपकी स्कीन को मुलायम और खूबसूरत भी रखता है
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